
मरुधर गूंज, बीकानेर (24 अगस्त 2025)।
हरतालिका तीज का पावन पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। यह व्रत जितना विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, उतना ही कुंवारी कन्याओं के लिए भी खास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं अगर पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से इस व्रत को रखें, तो उन्हें भगवान शिव जैसा योग्य और मनचाहा वर मिलता है, तो आइए जानते हैं कि कुंवारी कन्याओं के लिए हरतालिका तीज व्रत के क्या नियम हैं और उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
व्रत के नियम
- हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है।
- यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद ही खोला जाता है।
- कुंवारी कन्याएं भी इस नियम का पालन करती हैं।
- पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा रेत/ मिट्टी से बनाएं या खरीदें।
- एक वेदी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और फूलों से सजाएं।
- पूजा की थाली में रोली, गंगाजल, चंदन, धतूरा, बेलपत्र, फूल, फल, मिठाई और अक्षत रखें।
- शाम के समय, स्नान करके नए या साफ कपड़े पहनें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी विधिवत पूजा करें।
- उन्हें फूल और फल भाव के साथ चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान हरतालिका तीज की कथा सुनें या पढ़ें।
- अंत में आरती लें और फिर सभी में प्रसाद बांटें।
- बड़ों का आशीर्वाद लें।
- हरतालिका तीज की रात को जागरण करने का भी महत्व है।
- रात में भजन-कीर्तन करें और भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करें।
क्या करें और क्या न करें?
क्या करें
- व्रत के दौरान मन में पवित्र विचार रखें और भगवान शिव का ध्यान करें।
- लाल, पीला या गुलाबी जैसे शुभ रंग के कपड़े पहनें।
- माता-पिता और बड़ों का सम्मान करें।
क्या न करें
- गलती से भी पानी या भोजन ग्रहण न करें।
- गुस्सा न करें और न ही किसी की बुराई करें।
- नुकीली वस्तुओं जैसे कैंची या चाकू का उपयोग करने से बचें।