
मरुधर गूंज, बीकानेर (12 सितंबर 2025)।
पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है जिसका समापन 21 सितंबर को होगा। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का महीना को बेहद खास माना जाता है। लोग 15 दिनों तक पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इसे महालय और सर्व मोक्ष अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पितरों की आत्मा शांति और तर्पण के लिए यह दिन बेहद खास माना जाता है। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। आइए आपको बताते हैं कब है सर्वपितृ अमावस्या।
कब है सर्वपितृ अमावस्या?
पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 सितंबर रात 12 बजकर 17 मिनट पर होगी और 21 सितंबर को रात 1 बजकर 24 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होती है। उदया तिथि के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी। आपको बता दें कि, इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर शुभ योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।
सर्वपितृ अमावस्या पर किसका किया जाता है श्राद्ध
महालय अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जिन लोगों का श्राद्ध करना आप भूल गए हैं या फिर आपको श्राद्ध की पुण्यतिथि याद नहीं हो, तो उस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।
अमावस्या तिथि पर श्राद्ध करने के नियम
- स्नान करने के बाद किसी पवित्र नदी या किसी साफ-सुथरे जगह पर आसन लगाएं।
- फिर हाथ में थोड़ा चावल लेकर सभी पितरों को याद करते हुए श्राद्ध का संकल्प लें।
- इसके बाद जल में अक्षत डालें और देवताओं को अर्पित करें। फिर आप पितरों के नाम का तर्पण करें।
- पितरों के तर्पण के लिए काले तिल, सफेद फूल हाथ में लेकर फिर जल डालते हुए तर्पण करा जाता है।
- तर्पण करने के लिए तर्जनी अंगुली और अंगूठे के बीच कुशा लें और एक अंजलि बनाए।
- अब अंजलि में जल लेकर उसे खाली पात्र में अर्पित कर दें। इस दौरान आप सभी पितरों को याद करते हुए सभी के नाम से तीन बार जल को अर्पित करें। जब आप तर्पण कर रहे हैं, तो उस समय ओम पितृभ्य नम: का जप करें।
- फिर आप तर्पण का जल किसी भी पेड़ में अर्पित कर सकते हैं। फिर आप घर में ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन करवाएं।