
मरुधर गूंज, जयपुर (19 जून 2025)।
राजस्थान रोडवेज प्रशासन बसों में कैमरे लगाने जा रहा है, जिससे बसों में महिलाओं की सुरक्षा तो बेहतर होगी ही, चोरी करने वाले परिचालकों पर लगाम लगने की भी उम्मीद है।
राजस्थान रोडवेज की बसों में अब सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। पिछले दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जब रोडवेज और परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक ली थी, तो उसमें बसों में कैमरे लगाने का सुझाव दिया था। इससे न केवल बसों में चोरी की गुजांइश कम होगी, साथ ही बसों में होने वाले विवादों में सही तस्वीर रोडवेज प्रशासन के सामने आ सकेगी।
कैमरे लगाए जाने से बसों में बिना टिकट यात्रा कराने वाले परिचालकों पर कार्रवाई हो सकेगी। पायलट प्रोजेक्ट पर तीन कंपनियां बसों में सीसीटीवी कैमरों का डेमो दे रही है। यह सफल होने के बाद सभी डिपो की बसों में कैमरे लगाए जाएंगे।
क्या है कैमरे लगाने की कवायद ?
- रोडवेज प्रशासन को 3 कंपनियों द्वारा दिया जा रहा सीसीटीवी डेमो।
- ब्रहस्पति, मेट्रिक्स और रोड कास्ट कंपनियों की ओर से डेमो दिया जा रहा।
- एक बस में दो सीसीटीवी कैमरे लगाकर डेमो दिखाया गया।
- इन कैमरों को रोडवेज की ETIM मशीन से भी जोड़ा जाएगा।
- रोडवेज मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम से लाइव स्ट्रीमिंग देखी जा सकेगी।
- इससे पता चलेगी बसों में यात्रियों की संख्या, कितने यात्रियों के टिकट काटे गए गए।
- मुख्यालय में बैठकर ही अधकिारी बस की मॉनिटरिंग कर सकेंगे।
- टिकट व यात्रियों की संख्या में गड़बड़ी पाए जाने पर परिचालक पर कार्रवाई होगी।
- इन कैमरों के लगने से महिला यात्रियों की सुरक्षा भी मजबूत होगी।
रोडवेज की ओर से बिना टिकट यात्रा कराने वाले परिचालकों पर कार्रवाई के लिए प्रदेशभर में विशेष अभियान चलाया जाता है। इस अभियान में मुख्य प्रबंधक, टीआई, एटीआई व अन्य अधिकारियों को रोडवेज के वाहन देकर भेजा जाता है, जिससे लाखों रुपये का डीजल खर्च होता है। यह कैमरे लगने के बाद मुख्यालय में ऑनलाइन ही मॉनिटरिंग हो सकेगी। इससे फ्लाइंग टीम का काम कम होने के साथ ही डीजल की भी बचत होगी।
वर्तमान में राजस्थान रोडवेज की सभी बसों में जीपीएस सिस्टम लगे हुए हैं, जिन्हें पुलिस कंट्रोल रूम और रोडवेज मुख्यालय से जोड़ा हुआ है। हालांकि कैमरे लगाए जाने की इस कवायद को लेकर सवाल भी खड़े होने लगे हैं। दरअसल करीब 8 साल पहले भी रोडवेज की बसों में कैमरे लगाए गए थे, लेकिन यह प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल नहीं रहा था। ऐसे में अब भी इस प्रोजेक्ट की सफलता को लेकर लोग सवाल खड़े किए जा रहे हैं।