
मरुधर गूंज, (13 जून 2025)।
आषाढ़ महीना 12 जून से 10 जुलाई 2025 तक रहेगा। हिन्दू धार्मिक मान्यतओं के अनुसार, आषाढ़ माह में गुरु की उपासना सबसे फलदायी होती है। आषाढ़ माह हिंदू पंचांग का चौथा महीना है, जो वर्षा ऋतु की शुरुआत के साथ आता है। इस महीने में विशेष धार्मिक और व्रत-त्योहारों का आयोजन किया जाता है।
क्या है इस महीने का महत्व?
आषाढ़ माह का महत्व खासतौर पर इस वजह से है क्योंकि यह संधिकाल (ज्येष्ठ और आषाढ़ का मिलन) होता है, जो हर कार्य के लिए शुभ माना जाता है। इस महीने में भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा भी होती है, जो विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह समय विशेष पूजा, व्रत और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। आइए जानते हैं इस महीने कौन से व्रत और त्योहार मनाए कब जाएंगे…
आषाढ़ माह के त्योहार व व्रत
- 14 जून, शनिवार – कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी : गणेश जी की पूजा के लिए व्रत, विशेष रूप से गणेश भक्तों द्वारा मनाया जाता है।
- 15 जून, रविवार – मिथुन संक्रांति : सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश, कृषि संबंधी कार्यों के लिए महत्वपूर्ण।
- 18 जून, बुधवार – मासिक जन्माष्टमी, कालाष्टमी : भगवान कृष्ण की मासिक जयंती, कालभैरव की पूजा।
- 21 जून, शनिवार – योगिनी एकादशी : साल का सबसे बड़ा दिन। विशेष रूप से उपवास और ध्यान के लिए उपयुक्त।
- 22 जून, रविवार – योगिनी एकादशी पारण : मासिक कार्तिगाई उपवास का समापन, कार्तिगाई दीपमालिका की पूजा।
- 23 जून, सोमवार – सोम प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि : भगवान शिव की पूजा, विशेष रूप से रात्रि जागरण।
- 24 जून, मंगलवार – रोहिणी व्रत : विशेष रूप से जैन समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
- 25 जून, बुधवार – आषाढ़ अमावस्या : पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजा, विशेष रूप से दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण।
- 26 जून, गुरुवार – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि : कलश स्थापना, चंद्र दर्शन नवरात्रि की शुरुआत और उपवास।
- 27 जून, शुक्रवार – जगन्नाथ रथयात्रा, विशेष रूप से ओडिशा में मनाई जाती है।
- 28 जून, शनिवार – विनायक चतुर्थी : भगवान गणेश की पूजा, विशेष रूप से महाराष्ट्र और गोवा में महत्वपूर्ण।
- 30 जून, सोमवार – स्कंद षष्ठी : भगवान स्कंद की पूजा, विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाई जाती है।
- 3 जुलाई, गुरुवार – मासिक दुर्गाष्टमी : देवी दुर्गा की पूजा, विशेष रूप से उपवास और अनुष्ठान।
- 6 जुलाई, रविवार – देवशयनी एकादशी : गौरी व्रत आरंभ, विशेष उपवास और पूजा का आरंभ, विशेष रूप से विवाह योग्य कन्याओं द्वारा मनाया जाता है।
- 7 जुलाई, सोमवार – देवशयनी एकादशी पारण : वासुदेव द्वादशी उपवास का समापन, भगवान कृष्ण की पूजा।
- 8 जुलाई, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत : जयापार्वती व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा, विशेष रूप से उपवास और अनुष्ठान।
- 9 जुलाई, बुधवार – आषाढ़ चौमासी चौदस : विशेष उपवास और पूजा का दिन।
- 10 जुलाई, गुरुवार – गुरु पूर्णिमा : आषाढ़ पूर्णिमा व्रत, व्यास पूजा, कोकिला व्रत, गौरी व्रत समाप्त, गुरु की पूजा, विशेष उपवास और अनुष्ठान होंगे।