September 30, 2025
MG NEWS

मरुधर गूंज, बीकानेर (20 सितंबर 2025)।

21 सितंबर 2025 की रात को सूर्य ग्रहण लगेगा और अगले ही दिन 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होगी। शास्त्रों के अनुसार यह संयोग सामान्य नहीं बल्कि चेतावनी का संकेत है।

ग्रहण को हमेशा विघ्नकारी और शुद्धि की आवश्यकता बताने वाला समय माना गया है, जबकि नवरात्रि शक्ति जागरण का पर्व है. यानी यह दुर्लभ मेल दर्शाता है कि देवी उपासना से ही ग्रहण के दोषों का शमन होगा और समाज को नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलेगी।

हण को क्यों माना जाता है विघ्नकारी

मनुस्मृति और धर्मसूत्रों में सूर्य ग्रहण को असुर शक्तियों का प्रभाव बताया गया है। इस समय सूर्य पर छाया पड़ना राज्य, समाज और व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता का संकेत माना गया है। ग्रहणकाल में शुभ कार्य, विवाह, यात्रा या नए सौदे वर्जित हैं। इसे दैवी चेतावनी की तरह देखा जाता है।

नवरात्रि का आरंभ और शक्ति साधना

नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें देवी की उपासना की। दुर्गा सप्तशती में कहा गया है कि देवी का स्मरण करने वाला साधक हर संकट से मुक्त होता है। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। ग्रहण के बाद जब नवरात्रि शुरू होती है तो यह संदेश देती है कि शक्ति उपासना ही वह उपाय है जिससे नकारात्मक छाया से मुक्ति मिल सकती है।

शास्त्रीय प्रमाण

भविष्य पुराण के अनुसार ग्रहणं विघ्नकारकं, ततः पश्चात् शुद्ध्यर्थं पूजा। अर्थात ग्रहण विघ्न का सूचक है, लेकिन उसके बाद की पूजा और व्रत दोषों को दूर कर देते हैं। यही कारण है कि इस बार की नवरात्रि और भी विशेष है, क्योंकि यह सीधे ग्रहण के बाद आरंभ हो रही है।

समाज और राजनीति के लिए संकेत

राजनीतिक स्तर :- सूर्य सत्ता और नेतृत्व का कारक है। उस पर छाया पड़ना राजनीतिक अस्थिरता और विवादों का संकेत देता है।
वैश्विक स्तर :- ग्रहण से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव, संघर्ष और आर्थिक मंदी की आशंका।
समाज पर असर :- लोग मानसिक बेचैनी और असुरक्षा का अनुभव कर सकते हैं।

व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव

ग्रहण और नवरात्रि का यह संयोग व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित करता है।
स्वास्थ्य :- नेत्र, हृदय और रक्त से जुड़ी बीमारियों में सावधानी रखें।
करियर :- जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें।
परिवार :- नवरात्रि साधना से परिवार में शांति और सकारात्मकता बनी रहेगी।

2025 का विशेष संयोग

21 सितंबर की रात 10:59 बजे ग्रहण शुरू होगा और 22 सितंबर की रात 1:11 बजे इसका मध्य रहेगा। ठीक इसके बाद 22 सितंबर को प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी। यह संयोग शास्त्रों में शक्ति की परीक्षा और साधना का समय माना गया है।

उपाय और साधना

ग्रहण के दौरान मंत्रजप करें और अशुभ विचारों से दूर रहें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर दान दें। नवरात्रि स्थापना से पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें। अथर्ववेद मंत्र का जप करें। सूर्यो नः प्रत्यूषतु सूर्य पुनः हमारे लिए प्रकाशमान हों।

सूर्य ग्रहण और नवरात्रि का यह मेल साधारण खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि शास्त्रों के अनुसार यह चेतावनी और अवसर दोनों है। चेतावनी इसलिए कि ग्रहण नकारात्मक ऊर्जाओं का संकेत है, और अवसर इसलिए कि नवरात्रि की साधना इन्हें दूर कर जीवन में नई ऊर्जा ला सकती है। इस बार की नवरात्रि केवल त्योहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच है।

सूर्य ग्रहण के बाद नवरात्रि में क्या करें?

  • सूर्य ग्रहण के बाद घर और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा, व्रत और हवन करना विशेष फलदायी होता है।
  • ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।
  • ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ और ‘ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः’ मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।

सूर्य ग्रहण के बाद नवरात्रि में क्या न करें?

  • ग्रहण के दौरान पकाया गया भोजन नवरात्रि में न करें, यह अशुद्ध माना जाता है।
  • क्रोध, ईर्ष्या और किसी का अपमान करने से बचें।
  • नवरात्रि के दौरान मांसाहार, नशा, और तामसिक भोजन न करें।
  • कटु वचन न बोलें रात में सोने से पहले मां दुर्गा का ध्यान करें।