
मरुधर गूंज, बीकानेर (16 नवम्बर 2025)।
एकादशी हिंदू धर्म की सबसे पवित्र तिथियों में से एक मानी जाती है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है।
मान्यता है कि एकादशी व्रत का पालन करने से साधक को सुख-शांति, मानसिक और शारीरिक शुद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं एकादशी से जुड़ी मुख्य बातें और वर्ष में कितनी बार यह तिथि आती है।
एक साल में कितनी बार आती है एकादशी?
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने दो एकादशी पड़ती हैं- एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार एक वर्ष में कुल 24 एकादशी आती हैं। यदि अधिमास (मलमास) हो जाए तो एकादशी की संख्या 26 भी हो सकती है।
24 एकादशियों के नाम और मान्यताएं
- पुत्रदा एकादशी (पौष शुक्ल पक्ष)
यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से संतान की इच्छा पूरी होती है। - षट्तिला एकादशी (माघ कृष्ण पक्ष)
इस दिन तिल का विशेष महत्व है। तिल से स्नान, दान और भोजन करने से पाप नष्ट होते हैं और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। - जया एकादशी (माघ शुक्ल पक्ष)
यह व्रत मोक्ष देने वाला माना गया है। इस दिन व्रत रखने से पितृ दोष और भूत-प्रेत बाधा दूर होती है। - विजया एकादशी (फाल्गुन कृष्ण पक्ष)
भगवान राम ने लंका जाने से पहले यह व्रत किया था। यह व्रत विजय प्राप्ति और बाधाओं से मुक्ति के लिए किया जाता है। - आमलकी एकादशी (फाल्गुन शुक्ल पक्ष)
इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। यह व्रत पवित्रता, पुण्य और आयु वृद्धि देने वाला माना जाता है। - पापमोचिनी एकादशी (चैत्र कृष्ण पक्ष)
यह व्रत पापों का नाश करने वाला है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। - कामदा एकादशी (चैत्र शुक्ल पक्ष)
कामनाओं की पूर्ति के लिए यह एकादशी उत्तम है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। - वरूथिनी एकादशी (वैशाख कृष्ण पक्ष)
इस दिन व्रत करने से दुर्भाग्य दूर होता है और सुख-समृद्धि आती है। - मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल पक्ष)
भगवान विष्णु ने इसी दिन मोहिनी रूप धारण किया था। यह व्रत मोह और भ्रम से मुक्ति देने वाला माना जाता है। - अपरा एकादशी (ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष)
पापों का क्षय करने वाली एकादशी। यह व्रत करने से व्यक्ति को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। - निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष)
यह सबसे कठिन एकादशी मानी जाती है क्योंकि इस दिन जल तक का त्याग किया जाता है। इस व्रत से सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। - योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण पक्ष)
यह व्रत स्वास्थ्य और शांति देने वाला है। रोग-शोक दूर करने के लिए इसे किया जाता है। - देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल पक्ष)
इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं। यह चातुर्मास्य की शुरुआत का प्रतीक है। - कामिका एकादशी (श्रावण कृष्ण पक्ष)
यह व्रत पाप मुक्ति और सौभाग्य प्रदान करता है। - पवित्रा या पवित्रोपना एकादशी (श्रावण शुक्ल पक्ष)
इस दिन व्रत करने से मन और शरीर शुद्ध होता है। यह व्रत आत्मिक शांति देता है। - अजा एकादशी (भाद्रपद कृष्ण पक्ष)
पापों से मुक्ति के लिए श्रेष्ठ। कहा जाता है कि इस व्रत से व्यक्ति के सात जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। - पार्श्व एकादशी (भाद्रपद शुक्ल पक्ष)
इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसे पर्युषण पर्व से भी जोड़ा जाता है। - इंदिरा एकादशी (आश्विन कृष्ण पक्ष)
यह व्रत पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। - पापांकुशा एकादशी (आश्विन शुक्ल पक्ष)
यह व्रत व्यक्ति को नरक से बचाता है और उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। - रमा एकादशी (कार्तिक कृष्ण पक्ष)
यह व्रत सौभाग्य और धन वृद्धि का प्रतीक है। - देवउठनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल पक्ष)
इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। विवाह मुहूर्त इसी दिन से शुरू होते हैं। - उत्पन्ना एकादशी (मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष)
इस दिन एकादशी देवी का जन्म हुआ था। यह व्रत शक्ति और सफलता देने वाला माना जाता है। - मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष)
गीता जयंती इसी दिन होती है। यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति कराने वाला है। - सफला एकादशी (पौष कृष्ण पक्ष)
यह व्रत जीवन में सफलता और समृद्धि देने वाला माना जाता है।
एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। कहा जाता है कि इस व्रत से पापों का नाश होता है। व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र-जप, कथा श्रवण और भजन-कीर्तन करते हैं। यह व्रत वैकुंठ धाम की प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है।

