
मरुधर गूंज, बीकानेर (16 जुलाई 2025)।
आषाढ़ शुक्ल एकदाशी यानी देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके 4 माह बाद यानी देवउठनी एकादशी पर प्रभु श्रीहरि पुनः निद्रा से जागते हैं। चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई से हो चुकी है, जो 1 नवंबर तक चलने वाली है।
बढ़ता है मान-सम्मान
चातुर्मास में गरीबों, जरूरतमंदों, ब्राह्मणों और साधु-संतों के बीच अपनी क्षमता के अनुसार, अन्न और वस्त्रों का दान करना चाहिए। इसके साथ ही चातुर्मास में पीले रंग के वस्त्र का दान करना बहुत ही उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु को प्रिय माना गया है। ऐसा करने से साधक की पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मिलेगा आरोग्य का भी आशीर्वाद
चातुर्मास का समय मुख्य रूप से जगत के पालनहार प्रभु श्री हरि की आराधना के लिए समर्पित है। विष्णु जी की पूजा में चने की दाल और गुड़ का भोग भी जरूरी रूप से लगाया जाता है। ऐसे में आप चातुर्मास में चने की दाल और गुड़ का दान कर सकते हैं। इससे व्यक्ति को सुख-समृद्धि के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य का भी आशीर्वाद मिलता है।
पुण्यदायी है इन चीजों का दान
चातुर्मास में जलपात्र, शहद या फिर गाय का घी जैसी चीजों का दान करना भी बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है। इसके साथ ही इस अवधि में धार्मिक ग्रंथों और तुलसी के पौधे का दान करना भी काफी शुभ माना गया है। इन चीजों का दान करने से घर में शुभता आती है और घर में कभी दरिद्रता का प्रवेश नहीं होता।
इन कार्यों से मिलता है लाभ
चातुर्मास में गायों की सेवा करने से भी आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। इसके साथ ही आपको चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा व उनके मंत्रों का जप करने से भी लाभ मिल सकता है। साथ ही आपको इस अवधि में रामायण, भगवद गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से भी लाभ मिल सकता है।