September 13, 2025
MG NEWS

मरुधर गूंज, बीकानेर (9 जुलाई 2025)।

सावन माह में भक्ति भाव से भगवान शंकर की उपासना की जाए, तो वे हर मुराद पूरी करते हैं। शिवजी के बारे में कहा जाता है कि वे एक लौटा जल में प्रसन्न होने वाले भगवान हैं।

सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के साथ ही दुध, शहर, आदि चीजों से अभिषेक करना का भी महत्व है। वहीं जो लोग मंदिर नहीं जा सकते हैं, वो घर में भी शिवजी की उपासना कर सकते हैं।

सावन माह में ऐसे करें दिन की शुरुआत

सावन माह में सूर्योदय से पूर्व उठें। नित्यकर्म और स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान को स्नान कराएं। धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं। यथासंभव मंत्रों का जाप करें। इसके बाद ही अपने ऑफिस या दुकान पर जाएं।

कोशिश करें कि सुबह या शाम के समय शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। यदि रोज नहीं जा सकते हैं, तो सावन सोमवार के दिन जरूर जाएं। जीवन में इसका बड़ा फल प्राप्त होगा।

सावन में पूजा के दौरान इन शिव मंत्रों का जप

शिव मूल मंत्र :

ॐ नमः शिवाय॥

महामृत्युंजय मंत्र :

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

रूद्र गायत्री मंत्र :

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

रूद्र मंत्र :

ॐ नमो भगवते रूद्राय ।

शिव प्रार्थना मंत्र :

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

नामावली मंत्र

श्री शिवाय नम:, श्री शंकराय नम:, श्री महेश्वराय नम:,

श्री सांबसदाशिवाय नम:, श्री रुद्राय नम:, ॐ पार्वतीपतये नम:, ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:

धन प्राप्ति मंत्र –

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्रमात्रं जपेन्नरः।

दुःस्वप्नं न भवेत्तत्र सुस्वप्नमुपजायते।।

शिव आवाहन मंत्र –

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।