September 13, 2025
MG NEWS

मरुधर गूंज, बीकानेर (9 जुलाई 2025)।

गुरुवार और गुरु पूर्णिमा का संयोग अत्यंत दुर्लभ और अत्यधिक शुभ माना जाता है। जब गुरुवार, जो कि बृहस्पति ग्रह और विष्‍णु भगवान को समर्पित दिन होता है, और गुरु पूर्णिमा, जो ज्ञान, उपासना और श्रद्धा का पर्व है, एक साथ आते हैं, तो यह काल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सर्वश्रेष्ठ हो जाता है। इस विशेष दिन श्री सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में चमत्कारिक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। अगर आपके घर में काफी समय से किसी बात या परेशानी को लेकर तनाव चल रहा है तो उसमें कमी आती है। पूर्णिमा की तिथि हर महीने आती है, मगर साल की कुछ पूर्णिमा तिथि पूजापाठ और अनुष्‍ठान के लिए विशेष मानी जाती है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा भी उनमें से एक होती है। इस वक्‍त भगवान विष्‍णु योग निद्रा में होते हैं और गुरु पूर्णिमा पर उनके ही स्‍वरूप सत्‍यनारायण भगवान की पूजा करने से आपके घर में सुख शांति स्‍थापित होती है और पारिवारिक क्‍लेश दूर होते हैं। गुरु पूर्णिमा पर सत्‍यनारायण भगवान की कथा करवाने के फायदे नीचे आपको बताए गए हैं।

घर में सुख, शांति और सौभाग्य का वास

गुरु पूर्णिमा का दिन अध्यात्म, श्रद्धा और आत्मविकास का पर्व है, वहीं गुरुवार बृहस्पति देव का दिन होता है जो धर्म, नीति, और सुख-शांति के प्रतीक हैं। इस विशेष दिन घर में श्री सत्यनारायण भगवान की कथा करवाने से न केवल वातावरण में सात्विकता और सकारात्मक ऊर्जा आती है, बल्कि घर में लड़ाई-झगड़े, तनाव और क्लेश जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। यह पूजा गृहस्थ जीवन में समझदारी, सौहार्द और परस्पर प्रेम को बढ़ावा देती है। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य में भी सुधार देखा जा सकता है।

आर्थिक बाधाएं दूर और लक्ष्मी का आगमन

सत्यनारायण भगवान को धन, वैभव और समृद्धि के रक्षक माना जाता है। गुरु पूर्णिमा जैसे शुभ दिन पर कथा आयोजित करने से रुके हुए कार्य पूरे होने लगते हैं, नौकरी और व्यापार में आ रही अड़चनों का समाधान मिलता है। बृहस्पति ग्रह की कृपा से निवेश में लाभ, कर्ज़ से मुक्ति, और आमदनी में निरंतर वृद्धि के योग बनते हैं। यह कथा विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है जो आर्थिक अस्थिरता, उधारी, या नौकरी में असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।

गुरु कृपा और आध्यात्मिक विकास

गुरु पूर्णिमा का मूल उद्देश्य ही होता है, गुरु के प्रति श्रद्धा और आत्मा का शुद्धिकरण। इस दिन सत्यनारायण कथा का आयोजन व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान, साधना में सफलता और चित्त की स्थिरता लाने में सहायक होता है। विद्यार्थियों को विद्या, स्मरण शक्ति और अनुशासन की प्राप्ति होती है, वहीं साधकों को ध्यान, जप, और तप में मन की एकाग्रता मिलती है। यह दिन आत्मबोध और जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।