September 30, 2025
MG NEWS

मरुधर गूंज, बीकानेर (17 सितंबर 2025)।

साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को पड़ने जा रहा है। खास बात यह है कि यह ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। हालांकि, यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

उसके बावजूद धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक दृष्टि से इस दिन कुछ सावधानियां और उपाय करना शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दिन राहु-केतु का विशेष प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसे में सही उपाय करने से उनके अशुभ असर से बचा जा सकता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।

क्या है स्नान और दान का महत्व

ग्रहण समाप्ति के बाद पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। अगर, नदी उपलब्ध न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी शुभ होता है। इस दिन जरूरतमंदों को चना, गेहूं, चावल, उड़द, गुड़, दालें और लाल वस्त्र दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

जरूर करें तुलसी का उपयोग

ग्रहण काल में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक हो जाता है। मान्यता है कि इस दौरान खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी पत्ता डालने से वे अपवित्र नहीं होते। ग्रहण के बाद तुलसी का सेवन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

मंत्रजप और ध्यान करना चाहिए

ग्रहण काल में पारंपरिक पूजा-पाठ वर्जित है, लेकिन ध्यान और मंत्रजप को अत्यंत लाभकारी माना जाता है। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप विशेष आध्यात्मिक फल देता है। इससे नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।